माननीय न्यायाधीश सुश्री रितु बाहरी
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माननीय न्यायाधीश सुश्री रितु बाहरी: उनका जन्म 11.10.1962 को जालंधर में हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित वकीलों के परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके परदादा स्वर्गीय श्री करम चंद बाहरी अपने समय के एक प्रसिद्ध सिविल वकील थे। उनके दादा स्वर्गीय श्री सोम दत्त बाहरी ने भी सिविल पक्ष में वकालत की थी और वे 1952 से 1957 तक पंजाब विधान सभा के सदस्य भी रहे। उनके पिता माननीय न्यायमूर्ति अमृत लाल बाहरी वर्ष 1994 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
हर लॉर्डशिप ने अपनी स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल से की और वर्ष 1982 में गवर्नमेंट कॉलेज फॉर विमेन, चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र (ऑनर्स) में प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, हर लॉर्डशिप ने वर्ष 1985 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से प्रथम श्रेणी में कानून की पढ़ाई की। वह वर्ष 1986 में पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकित हुईं और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की। हर लॉर्डशिप को मार्च 1992 में हरियाणा का सहायक महाधिवक्ता नियुक्त किया गया। इसके बाद, उन्हें अगस्त 1999 में हरियाणा का उप महाधिवक्ता और दिसंबर 2009 में हरियाणा का वरिष्ठ महाधिवक्ता नियुक्त किया गया। हरियाणा राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए, हर लॉर्डशिप ने सेवा, भूमि अधिग्रहण, कराधान, राजस्व, श्रम और एमएसीटी से संबंधित कई मामलों को संभाला।
16.08.2010 को उन्हें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया तथा उसके बाद 23.02.2012 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। 14.10.2023 से 03.02.2024 तक पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। भारत सरकार, विधि एवं न्याय मंत्रालय (न्याय विभाग) की अधिसूचना संख्या K.13032/02/2023-US.II, दिनांक 02.02.2024 के अनुसार उन्हें उत्तराखंड उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया तथा उन्होंने 04.02.2024 को कार्यभार ग्रहण किया। 10.10.2024 को सेवानिवृत्त हुए।